विज्ञान भी नतमस्तक
आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है।
तुलसीः एक अदभुत औषधि
तुलसी पर किये गये प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ है कि तुलसी अत्यंत लाभकारी है ।
तुलसी रक्षक और पोषक
तुलसी आयु, आरोग्य, पुष्टि देती है । दर्शनमात्र से पाप का नाश करती है ।
25 दिसंबर
तुलसी पूजन दिवस 25 दिसंबर को ही क्यों ?
गुणों की खानः तुलसी
तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है।
विज्ञान भी नतमस्तक
तुलसी में एंटीस्ट्रेस गुण है । तुलसी-पत्ते कीटाणुनाशक भी होते हैं। तुलसी पत्ते ईथर नामक रसायन से युक्त होने से जीवाणुओं का नाश करते हैं और मच्छरों को भगाते हैं।
तुलसी एक लाभ अनेक
तुलसी के मिट्टी का तिलक हितकारी, तुलसी की लकड़ी लाभकारी, एवम यह एक रामबाण औषधि है ।
शास्त्रों में वर्णित तुलसी महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेक आख्यान हैं। भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा विधि तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती।
तुलसी पूजन विधि (How to Celebrate Tulsi Pujan Diwas)
तुलसी माता के पूजन के लिए 25 दिसम्बर “तुलसी पूजन दिवस” या उसके आसपास किसी दिन प्रातः स्नान इत्यादि से पवित्र होकर पूजन प्रारंभ करें ।
- सर्वप्रथम तुलसी के गमले को किसी साफ़ सुथरे जगह धरती से थोडा ऊपर रखें ।
- लोटे से साफ़ जल तुलसी में अर्पण करें । जल अर्पण करते समय यह मंत्र बोलें :
महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धनी।
आधिव्याधि हरिर्नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तु ते।।
- किसी भी वैदिक पूजन पद्दति की तरह तुलसी माता को तुलस्यै नमः मंत्र बोलते हुए तिलक करें ।
- प्रेम से अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें और सात्विक प्रसाद चढ़ायें।
- घी या तेल का दीप जलाकर आरती करें और तुलसी माता की अपने सुविधानुसार 7,11, 21, 51 या 108 परिक्रमा करें।
- फिर शांत होकर भगवत्प्रार्थना, भगवन्नाम जप, तुलसी नामाष्टक पाठ, प्राणायाम, भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण करें ।
- प्रसाद में तुलसी पत्ते डालकर सभी में बाटे ।
आइये विश्व को एक सर्वश्रेष्ठ स्थान बनाए।
विश्वमानव के कल्याण के लिए पूज्य बापूजी का आह्वान हैः “25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तुलसी पूजन, जप माला पूजन, गौ पूजन, हवन, गौ गीता गंगा जागृति यात्रा, सत्संग आदि कार्यक्रम आयोजित हों, जिससे सभी की भलाई हो, तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और न आत्महत्या करें, न गोहत्याएँ करें, न यौवन-हत्याएँ करें बल्कि आत्मविकास करें, गौ गंगा की रक्षा एवं विकास करें। गौ, गंगा, तुलसी से ओजस्वी तेजस्वी बनें व गीता ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें।”
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Tulsi Products: Helpful in Daily life
पूज्य बापूजी की अमृतवाणी
तुलसी और पर्यावरण
मानव जीवन के लिए परम आवश्यक
हम 1 दिन में लगभग 21 हजार 600 श्वास लेते हैं। अब वह वायु जितनीप्रदूषित होती है, उतना ही लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
शुद्ध वायु-प्राप्ति के उपाय
पेड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए और पर्यावरण के लिए वरदान हैं, आशीर्वाद हैं। तुलसी, पीपल के पेड़ जीवनीशक्ति विपुल प्रमाण में देते हैं।
देशव्यापी पर्यावरण-सुरक्षा अभियान
बापूजी वृक्षारोपण व हवामान-शुद्धि के लिए अपने सत्संगों में पिछले 50 वर्षों से विशेष जोर देते रहे हैं। बापूजी तुलसी वन लगवाते हैं और पेड़ पौधों का ध्यान भी रखते हैं।