तुलसी के आर्थिक आयाम पौधे में छिपी समृद्धि का अनावरण
तुलसी के आर्थिक आयाम पौधे में छिपी समृद्धि का अनावरण अर्थशास्त्र वर्तमान समाज के महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है।...
आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है।
तुलसी पर किये गये प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ है कि तुलसी अत्यंत लाभकारी है ।
तुलसी आयु, आरोग्य, पुष्टि देती है । दर्शनमात्र से पाप का नाश करती है ।
ज्ञात हो कि इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।
तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है।
तुलसी के मिट्टी का तिलक हितकारी, तुलसी की लकड़ी लाभकारी, एवम यह एक रामबाण औषधि है ।
25 दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें। उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढ़ायें-
महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धनी। आधिव्याधि हरिर्नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तु ते।।
फिर तुलस्यै नमः मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा कुछ प्रसाद चढ़ायें। दीपक जलाकर आरती करें और तुलसी जी की 7,11, 21, 51 या 111 परिक्रमा करें। उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें। तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है।
तुलसी पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें। तुलसी के समीप रात्रि 12 बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद्-विश्रांति पायें। तुलसी नामाष्टक का पाठ भी पुण्यकारक है। तुलसी पूजन अपने नजदीकी आश्रम या तुलसी वन में अथवा यथा अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं।
तुलसी नामाष्टक:
वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम्। पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम्।।
एतन्नामष्टकं चैतस्तोत्रं नामार्थसंयुतम्। यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत्।।
भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं- “वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं। यह सार्थक नामवली स्तोत्र के रूप में परिणत है। जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।” (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड 22.32-33)
विश्वमानव के कल्याण के लिए पूज्य बापू जी का आह्वान हैः "25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तुलसी पूजन, जप माला पूजन, गौ पूजन, हवन, गौ गीता गंगा जागृति यात्रा, सत्संग आदि कार्यक्रम आयोजित हों, जिससे सभी की भलाई हो, तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और न आत्महत्या करें, न गोहत्याएँ करें, न यौवन-हत्याएँ करें बल्कि आत्मविकास करें, गौ गंगा की रक्षा एवं विकास करें। गौ, गंगा, तुलसी से ओजस्वी तेजस्वी बनें व गीता ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें।"
तुलसी माला गले में धारण करके सत्कर्म करने से हजार गुना लाभ होता है ।
हम 1 दिन में लगभग 21 हजार 600 श्वास लेते हैं। अब वह वायु जितनीप्रदूषित होती है, उतना ही लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
पेड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए और पर्यावरण के लिए वरदान हैं, आशीर्वाद हैं। तुलसी, पीपल के पेड़ जीवनीशक्ति विपुल प्रमाण में देते हैं।
बापूजी वृक्षारोपण व हवामान-शुद्धि के लिए अपने सत्संगों में पिछले 50 वर्षों से विशेष जोर देते रहे हैं। बापूजी तुलसी वन लगवाते हैं और पेड़ पौधों का ध्यान भी रखते हैं।
Indian professional wrestler
प्लास्टिक का पेड़ अगर ऑक्सीजन देने लगे तो क्रिसमस मना लेना,,,,,,वरना तुलशी के नीचे एक दीपक जला देना 25 दिसम्बर को प्लास्टिक ट्री नहीं प्रकृति की धरोहर तुलसी पूजन दिवस मनायें हमें गर्व है अपनी सनातन संस्कृति पर
Advocate
प्राचीन काल से ही घर के आँगन में तुलसी पूजन की परंपरा रही है। फिर चाहे वो किसी राजा का घर हो या किसी गरीब का। घर में तुलसी का पौधा रखना केवल धार्मिक रूप से ही नहीं अपितु वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी माना जाता है।
Former Member of the Lok Sabha
तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है, मानव जीवन के लिए अमृत है। आज #तुलसी पूजन दिवस के पावन अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
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