भारत में तुलसी को कौन नहीं जानता, यह एक ऐसा पौधा है जिससे बच्चे, बूढ़े, जवान, हर उम्र के लोग परिचित हैं। हिन्दू धर्म के घरों में तुलसी का पौधा लगाना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सुख-समृद्धि और खुशहाली का वास होता है। 2014 में विश्वपूजनीय संत श्री आशारामजी बापू ने 25 दिसंबर के दिन तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाया जो कि अब एक विश्वव्यापी उत्सव बन गया है।
तुलसी पूजन दिवस की शुरुआत वर्ष 2014 में विश्व वंदनीय संत श्री आशारामजी बापू ने की, जो प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है ।
तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ेगा । मानसिक अवसाद, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होगी और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि – विज्ञान का लाभ मिलेगा । देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हितचिंतक पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की पावन प्रेरणा से देश में ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ किया गया ।
ज्ञात हो कि इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।
धनुर्मास में सभी सकाम कर्म वर्जित होते हैं परंतु भगवत्प्रीत्यर्थ कर्म विशेष फलदायी व प्रसन्नता देने वाले होते हैं। 25 दिसम्बर धनुर्मास के बीच का समय होता है।
ये रोचक तथ्य है कि विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा !!
मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना है | संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित तुलसी पूजन दिवस आज विश्वभर में मनाया जा रहा है ।
यूके (यूनाइटेड किंगडम) में दक्षिण एशियाई घरों में तुलसी के पौधे व्यापक रूप से उगाए जाते हैं । यह एक औषधीय जड़ी – बूटी है जो दुनिया भर में 150 विभिन्न किस्मों में पाई जाती है ।
कोरोना काल के दौरान, उपचार में तुलसी कितनी उपयोगी सिद्ध हुई ये तथ्य तो सर्वविदित है ।
फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है : “तुलसी एक अद्भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी है |”
25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, किशोर-किशोरियों व युवक युवतियों की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं।
इसलिए विश्वमानव के कल्याण के लिए पूज्य बापू जी का आह्वान हैः “25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तुलसी पूजन, जप माला पूजन, गौ पूजन, हवन, गौ गीता गंगा जागृति यात्रा, सत्संग आदि कार्यक्रम आयोजित हों, जिससे सभी की भलाई हो, तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और न आत्महत्या करें, न गोहत्याएँ करें, न यौवन-हत्याएँ करें बल्कि आत्मविकास करें, गौ गंगा की रक्षा एवं विकास करें। गौ, गंगा, तुलसी से ओजस्वी तेजस्वी बनें व गीता ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें।”
आप जानकर चौंकन्ने हो जायेंगे कि वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) के क्रिसमस और खिस्ती नववर्ष पर अल्कोहल पर खपत किये गये सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है कि इन अवसरों पर 14 से 19 वर्ष के किशोर भी शराब का जमकर सेवन करते हैं और यही कारण है कि इस दौरान शराब की खपत तीन गुनी तक बढ़ जाती है।
इन दिनों में दूसरे मादक पेय पदार्थों की भी खपत बढ़ जाती है। बड़ों के अलावा छोटी उम्र वाले भी बड़ी संख्या में इनका सेवन करते हैं। इससे किशोर-किशोरियों, कोमल वय के लड़के-लड़कियों को शारीरिक नुकसान तो होता ही है, उनका व्यवहार भी बदल जाता है और हरकतें भी जोखिमपूर्ण हो जाती हैं।
उसका परिणाम कई बार एचआईवी संक्रमण (एड्स-AIDS रोग) के तौर पर सामने आता है तो कइयों को टी.बी., लीवर की बीमारी, अल्सर और गले का कैंसर जैसे कई असाध्य रोग भी पैदा हो जाते हैं।
करीब 70 प्रतिशत किशोर फेयरवेल पार्टी, क्रिसमस एवं खिस्ती नूतन वर्ष पार्टी, वेलेंटाइन डे और बर्थ डे जैसे अवसरों पर शराब का सेवन करते हैं। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 40 प्रतिशत शराब के कारण होती हैं।
समझदारों एवं सूत्रों का कहना है कि क्रिसमस (25 दिसम्बर) के दिनों में शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, युवाधन की तबाही, आत्महत्याएँ खूब होती हैं। इसलिए 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक विश्वगुरु भारत कार्यक्रम आयोजन करें।
इन सारी गंभीर समस्याओं से मानवमात्र को निजात दिलाने के लिए प्राणिमात्र के हितचिंतक संत श्री आशारामजी बापू द्वारा तुलसी पूजन दिवस शुरू किया गया जिससे आज पूरा विश्व लाभान्वित हो रहा है !
‘स्कंद पुराण’ के अनुसार ‘जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है अथवा प्रतिदिन पूजन होता है उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते |’ तुलसी की उपस्थिति मात्र से हल्के स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है |
‘गरुड़ पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं |’ (गरुड़ पुराण, धर्म कांड – प्रेतकल्प :३८.११ )
ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है । ‘तुलसी पूजन दिवस के दिन शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है ।’ – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडेंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है | कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है |’
तिरुपति के एस.वी. विश्वविद्यालय में किये गये एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है |’ आभामंडल नापने के यंत्र ‘युनिवर्सल स्केनर’ के माध्यम से तकनीकी विशेषज्ञ श्री. के. एम्. जैन द्वारा किये गये परीक्षणों से यह बात सामने आयी कि ‘यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी या देशी गाय की परिक्रमा करे तो उसके शरीर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे शरीर पर रोगों के आक्रमण की सम्भावना भी काफी कम हो जाती है | यदि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की ९ बार परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव – क्षेत्र में 3 मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोत्तरी होती है |
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