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25 दिसंबर

तुलसी पूजन दिवस 25 दिसंबर को ही क्यों ?

भारत त्यौहारों का देश है. प्राचीन काल से सनातन संस्कृति के इन त्यौहारों ने लोगों के मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य,आध्यात्मिक आभा और पर्यावरणीय कल्याण को बढ़ावा दिया है।
 
हाल के दिनों में यह देखा गया है कि पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण ने ऐसे उत्सवों की शुरुआत की है जो अत्यधिक शराब की खपत, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, अश्लीलता को बढ़ावा देते हैं और दुर्घटनाओं व आत्महत्याओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है।  इन परेशान करने वाली प्रवृत्तियों ने निश्चित रूप से हमारे देश के कल्याण चाहने वालों के दिलों में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
 
ऐसे विषाक्त उत्सवों के लिए एक सार्थक, स्वस्थ और व्यापक रूप से स्वीकृत विकल्प प्रदान करने के लिए संत श्री आशारामजी बापू ने 2014 में तुलसी पूजन दिवस की शुरुआत की।
 
तब से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के उत्सव ने गति पकड़ ली है और इसे भारतीय मीडिया द्वारा व्यापक रूप से कवर किया गया, जिसे दुनिया भर की प्रतिष्ठित हस्तियों और संतों से व्यापक समर्थन भी मिला है।
 
तुलसी पूजन दिवस पूज्य बापूजी द्वारा शुरू की गई कई सामाजिक कल्याण और नैतिक उत्थान परियोजनाओं के गुलदस्ते में से एक है।
 
संत श्री आशारामजी बापू द्वारा शुरू किये कुछ अन्य सुन्दर प्रकल्प हैं मातृ-पितृ पूजन  दिवस, वैदिक होली, वैदिक रक्षा बंधन, बाल संस्कार केंद्र, युवा सशक्तिकरण शिविर, तेजस्विनी भाव अभियान इत्यादि |